सहायक कृषि यंत्री पवारखेड़ा होशंगाबाद ने जिले के किसानो से अपील की है कि वे नरवाई को जलाए नही
बल्कि भूसा बनायें। उन्होंने बताया है कि प्राय: किसान समय एवं श्रम की बचत हेतु गेहूं फसल की कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर से करा लेते हैं। कम्बाईन हार्वेस्टर के संचालक व्यवसायिक दृष्टिकोण रखते हुए खेत में गेहूं की खड़ी फसल को बाल से 4 इंच से 6 इंच की कटाई कर गेहूं का दाना निकाल देते हैं किन्तु 10 से 12 इंच का डंठल जिसे नरवाई कहते हैं खेत में ही खड़ा छोड़ देते हैं, जिसे किसान भाई इस भीषण तपती गर्मी में आग लगाकर जला देते हैं। नरवाई की आग से भीषण दुर्घटना के साथ-साथ निम्नानुसार हानिया होती है। जिनमें मुख्य रूप से भूमि की उपरी परत जलकर कड़ी हो जाती है जिससे जमीन की जलधारण क्षमता कम हो जाती है तथा फसल जल्दी सूख जाती है। भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जो हमारी फसल के लिए लाभदाई होते है जलकर नष्ट हो जाते है जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे भी जलकर नष्ट हो जाते है जिससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। खेत की आग कभी-कभी पास के कच्चे घरो को भी जला देती है जिससे जन एवं धन की हानि होती है। नरवाई की आग से पशुओं का चारा तथा पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते है जिससे हमारी जैव विवधिता समाप्त हो रही है।
किसानो से कहा गया है कि वे नरवाई को आग से जलाकर नष्ट न करें अपितु स्टारीपर का उपयोग कर नरवाई से भूसा बनायें तथा उसी भूसे की कीमत से खेत बनाने हेतु रिवर्सिवल प्लाऊ एवं रोटावेटर से ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें ताकि जमीन की जल धारण क्षमता बढ़ाकर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।