संस्कारधानी जबलपुर में 24 फरवरी से शुरू हो रहे नर्मदा गौ-कुंभ के लिए पुण्य सलिला मां नर्मदा के ग्वारीघाट स्थित गीताधाम में सवा करोड़ नर्मदेश्वर से बना नौ फीट ऊंचा विशाल और भव्य शिवलिंग हिन्दू-मुस्लिम भाई-चारे और धार्मिक सद्भाव का बेजोड़ मिसाल बन गया है। इस विराट शिवलिंग का निर्माण जहां सनातन धर्मी हिन्दू समाज के 45 वर्षीय संतोष सोनकर के देखरेख में हुआ है, वहीं इसकी परिकल्पना व डिजाइनिंग (अभिकल्पन) का कार्य मुस्लिम समाज के शेख असर अहमद "आसू" ने किया है। शास्त्रों में वर्णित नर्मदा का हर कंकर, शंकर की मान्यता के तहत नर्मदा नदी से निकाले गए छोटे-छोटे पत्थरों से निर्मित यह विराट शिवलिंग अब हिन्दू-मुस्लिम सहभागिता का प्रतीक बन गया है।
नर्मदा गौ-कुंभ की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे प्रदेश के वित्तमंत्री तरूण भनोत भी शिवलिंग की भव्यता से खासे प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि यह शिवलिंग हिन्दू-मुस्लिम भाई-चारे में एक कड़ी का काम कर रहा है। श्री भनोत ने कहा कि हिन्दुस्तान की तहजीब के अनुरूप यह शिवलिंग संस्कारधानी में दोनों समाजों के बीच भाईचारे की दृष्टि से एक कड़ी का काम करेगा।
अविश्वनीय रूप से परिष्कृत कारीगरी से गीताधाम में निर्मित यह भव्य शिवलिंग दूर से ही लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींचता है। शिवलिंग के निर्माणक शहर के गोरखपुर निवासी संतोष सोनकर ने बताया कि नर्मदा के एक-एक पत्थर को जोड़कर करीब एक माह की कड़ी मेहनत से शिवलिंग बनाया गया है। पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए सीमेंट और विशेष किस्म का पावडर इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि 24 फीट के दायरे में निर्मित 9 फीट ऊंचे इस भव्य शिवलिंग में लिपटे नाग को मिलाकर इसकी ऊंचाई 11 फीट है। शिवलिंग की सजावट के लिए डमरू और त्रिशूल अयोध्या से मंगवाया गया है।
शिवलिंग का दर्शन करने वाला हर व्यक्ति तब और ज्यादा आश्चर्यचकित हो जाता है जब उसे पता चलता है कि शहर के गोरखपुर मोहल्ले के मुस्लिम धर्मावलंबी शेख असर अहमद ने अपने अभिकल्पन से विशाल और भव्य शिवलिंग निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई है।