चंद्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.आशा गुप्ता ने कहा कि भारत के विभाजन उपरांत ढाका में छात्र आंदोलन हुआ आंदोलित छात्र बांग्ला भाषा को मातृभाषा रखना चाहते थे। इस आंदोलन में कई छात्रों की मृत्यु हुई। सन् 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ, तत्पश्चात यूनेस्को ने 21 फरवरी 1999 को मातृभाषा दिवस के रूप में मान्यता प्रदान की। मातृभाषा दिवस का अपना एक विशेष महत्व है क्योंकि मातृभाषा के शब्दों में आत्मीयता, संस्कार, और संस्कृति निहित होती है। अतः भाषा केवल संप्रेशनण ही नहीं हमारे व्यक्तित्व की पहचान भी होती है। मातृभाषा हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है। यही कारण है कि हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषा को विदेषी भी अपना रहे हैं।
डॉ.पुष्पा दुबे प्राध्यापक हिन्दी ने कहा कि मातृभाषा के शब्दों में मिठास होती है। यही मिठास हमारे परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण करती है। मातृभाषा हमें अपनी जन्मभूमि से जोड़ती है। जन्मभूमि के प्रति प्रतिबद्धता ही मातृभाषा का सम्मान है। डॉ.सुशीला पटेल प्राध्यापक हिन्दी ने कहा कि हम अपने विचारों का संप्रेशन जितनी अच्छी तरह से मातृभाषा में कर सकते है उतना किसी अन्य भाषा में नही, इसलिए हमें अधिक से अधिक दैनिक जीवन में मातृभाषा का उपयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.राजकुमारी शर्मा प्राध्यापक हिन्दी ने किया, आभार प्रदर्शन डॉ.कमलेश सिंह नेगी सहायक प्राध्यापक हिन्दी ने किया। इस अवसर पर डॉ निभा जेकब, डॉ.नोरा रूथ कुमार, श्रीमती पूर्णिमा सिंह परिहार, डॉ.आशा वाधवानी, श्री सीताराम सिमोलिया, श्रीमती मीनू पाल, सहित साहित्य के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित’’
Sunday, February 23, 2020
0