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आत्मनिर्भर होने से वंदना के परिवार में आई खुशहाली "खुशियों की दास्तां" -


   आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के कारण वंदना बर्मन के परिवार में खुशहाली आई है। यह संभव हुआ है वंदना के आजीविका मिशन के माध्यम से स्वसहायता समूह से जुड़ने के कारण।
    जिले के पाटन विकासखण्ड के कोनीकलां ग्राम की वंदना बर्मन के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वंदना के पति गुड्डा बर्मन मनिहारी का छोटा सा व्यवसाय करते थे। इससे परिवार की गुजर-बसर में दिक्कत होती थी। परिवार में उनके माता-पिता और दो बच्चे हैं। इसी बीच वंदना को आजीविका मिशन के स्वसहायता समूह के बारे में जानकारी मिली। वंदना कोनीकलां के मुस्कान आजीविका स्वयं सहायता समूह में शामिल हो गईं और छोटी-छोटी बचत करने लगी। वंदना ने स्वसहायता समूह के माध्यम से 35 हजार रूपए की राशि लेकर अपना किराना का व्यवसाय शुरू किया। किराना दुकान अच्छी चलने लगी और इससे होने वाली आमदनी से वंदना ने अपने पति के मनिहारी के व्यवसाय को भी सुदृढ़ किया। पति और पत्नी दोनों के व्यवसाय के कारण वंदना के परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। वंदना के अच्छे काम को देखते हुए उन्हें स्वसहायता समूह का अध्यक्ष भी बनाया गया।
    आजीविका मिशन के स्वसहायता समूह से जुड़ने के कारण वंदना के परिवार में खुशहाली आई है और उनका परिवार लगातार उन्नति कर रहा है। वंदना बर्मन अपने परिवार की खुशहाली में मध्यप्रदेश सरकार और आजीविका मिशन का बहुत योगदान मानती हैं और उनके प्रति आभार प्रकट करती हैं।  


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